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अर्थव्यवस्था : सुधार के संकेत | Economy: Signs of Recovery

अर्थव्यवस्था : सुधार के संकेत | Economy: Signs of Recovery

राज्य सभा टीवी के ख़ास प्रोग्राम देश-देशांतर के आज के इस अंक में बात अर्थव्यवस्था : सुधार के संकेत की. कोरोना महामारी की दो लहरों को झेलने के बाद देश की आर्थिक अब स्थिति धीरे-धीरे पटरी पर लौट रही है, भारत में अप्रैल-मई के महीने में महामारी की दूसरी लहर का सामना करने के बाद जून में आर्थिक गतिविधियां शुरू हुईं, जिसका असर अब जुलाई महीने के आकड़ो में दिख रहा है, बढ़ती घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय मांग के कारण कारखानों में कामकाज ने रफ्तार पकड़ी है. जिससे अर्थव्यवस्था ने जुलाई में सुधार के संकेत दिखाए हैं. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का कहना है कि 31 मार्च को खत्म हुए वित्त वर्ष में सरकार के कर राजस्व में करीब पांच प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई, 2020-21 में कुल कर (प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष) राजस्व 14.24 लाख करोड़ रुपये था, जो इससे पहले के वित्त वर्ष के मुकाबले पांच प्रतिशत अधिक है, इसके साथ ही भारतीय शेयर बाजार अब एक नए मुकाम पर पहुंच गया है। सप्ताह के तीसरे कारोबारी दिन यानी बुधवार को सेंसेक्स 54 हजार अंक के स्तर को पार कर गया, निफ्टी भी नई ऊंचाई पर कारोबार कर रहा है. भारत का मैन्युफैक्चरिंग परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (PMI) जुलाई में- 55.3 रहा जो जून में देश के अलग-अलग हिस्सों में लोकल लॉकडाउन के कारण 48.1 था, जुलाई के महीने में जीएसटी कलेक्शन ने भी रिकॉर्ड कायम किया और जुवाई में ये 1 लाख 16 हजार 393 करोड़ रहा. सालाना आधार पर इसमें 33 फीसदी की तेजी दर्ज की गई. ये सभी संकेत इस बात की तस्दीक कर रहे हैं कि महामारी से लड़खड़ाई भारतीय अर्थव्यवस्था में सुधार के संकेत दिख रहे हैं, देश-देशांतर में आज हम बात करेंगे कि आर्थिक सुधार से जुड़े इन इन सकारात्मक संकेतों पर इस सुधार के पीछे के फैक्टर्स क्या है, कैसे पॉलिसीज़ इसमें सहायक बन रही हैं। महामारी की तीसरी लहर के मद्देनजर और कौन सी चुनौतियां हमारे सामने हैं.

 

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अर्थव्यवस्था : सुधार के संकेत | Economy: Signs of Recovery

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राज्य सभा टीवी के ख़ास प्रोग्राम देश-देशांतर के आज के इस अंक में बात अर्थव्यवस्था : सुधार के संकेत की. कोरोना महामारी की दो लहरों को झेलने के बाद देश की आर्थिक अब स्थिति धीरे-धीरे पटरी पर लौट रही है, भारत में अप्रैल-मई के महीने में महामारी की दूसरी लहर का सामना करने के बाद जून में आर्थिक गतिविधियां शुरू हुईं, जिसका असर अब जुलाई महीने के आकड़ो में दिख रहा है, बढ़ती घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय मांग के कारण कारखानों में कामकाज ने रफ्तार पकड़ी है. जिससे अर्थव्यवस्था ने जुलाई में सुधार के संकेत दिखाए हैं. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का कहना है कि 31 मार्च को खत्म हुए वित्त वर्ष में सरकार के कर राजस्व में करीब पांच प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई, 2020-21 में कुल कर (प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष) राजस्व 14.24 लाख करोड़ रुपये था, जो इससे पहले के वित्त वर्ष के मुकाबले पांच प्रतिशत अधिक है, इसके साथ ही भारतीय शेयर बाजार अब एक नए मुकाम पर पहुंच गया है। सप्ताह के तीसरे कारोबारी दिन यानी बुधवार को सेंसेक्स 54 हजार अंक के स्तर को पार कर गया, निफ्टी भी नई ऊंचाई पर कारोबार कर रहा है. भारत का मैन्युफैक्चरिंग परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (PMI) जुलाई में- 55.3 रहा जो जून में देश के अलग-अलग हिस्सों में लोकल लॉकडाउन के कारण 48.1 था, जुलाई के महीने में जीएसटी कलेक्शन ने भी रिकॉर्ड कायम किया और जुवाई में ये 1 लाख 16 हजार 393 करोड़ रहा. सालाना आधार पर इसमें 33 फीसदी की तेजी दर्ज की गई. ये सभी संकेत इस बात की तस्दीक कर रहे हैं कि महामारी से लड़खड़ाई भारतीय अर्थव्यवस्था में सुधार के संकेत दिख रहे हैं, देश-देशांतर में आज हम बात करेंगे कि आर्थिक सुधार से जुड़े इन इन सकारात्मक संकेतों पर इस सुधार के पीछे के फैक्टर्स क्या है, कैसे पॉलिसीज़ इसमें सहायक बन रही हैं। महामारी की तीसरी लहर के मद्देनजर और कौन सी चुनौतियां हमारे सामने हैं.

 

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