आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला | SC verdict on reservation
राज्य सभा टीवी के ख़ास प्रोग्राम देश देशांतर के इस अंक में आज बात आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला की। सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र में मराठा कोटा रद्द कर दिया और कहा कि आरक्षण की अधिकतम सीमा 50% से अधिक नहीं हो सकती. अदालत ने कहा कि यह समानता के अधिकार का उल्लंघन करता है. और मराठा आरक्षण 50% सीमा का उल्लंघन करता है। अब तक मराठा आरक्षण से मिली नौकरियां और एडमिशन बरकरार रहेंगे, लेकिन आगे आरक्षण नहीं मिलेगा। 5 जजों की बेंच में अशोक भूषण के अलावा जस्टिस एल. नागेश्वर राव, एस. अब्दुल नजीर, हेमंत गुप्ता और एस. रवींद्र भट शामिल थे। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने 1992 के इंदिरा साहनी केस में दिए गए फैसले की समीक्षा करने से भी इनकार कर दिया है।सुप्रीम कोर्ट ने 26 मार्च को याचिकाओं पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। 30 नवंबर 2018 को महाराष्ट्र सरकार ने नौकरियों और शिक्षण संस्थानों में मराठा समुदाय को अन्य पिछड़ा वर्ग श्रेणी के तहत 16 प्रतिशत आरक्षण देने को लेकर विधानमंडल में विधेयक पारित किया था। 2018 में महाराष्ट्र सरकार ने मराठा वर्ग को सरकारी नौकरी और उच्च शिक्षा में 16% आरक्षण दिया था। इसके पीछे जस्टिस एनजी गायकवाड़ की अध्यक्षता वाले महाराष्ट्र पिछड़ा वर्ग आयोग की रिपोर्ट को आधार बनाया गया था। OBC जातियों को दिए गए 27% आरक्षण से अलग दिए गए मराठा आरक्षण से सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले का उल्लंघन हुआ, जिसमें आरक्षण की सीमा अधिकतम 50% ही रखने को कहा गया था। सुप्रीम कोर्ट में बंबई उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती दी गई थी जिसमें महाराष्ट्र के शिक्षण संस्थानों और सरकारी नौकरियों में मराठाओं के लिए आरक्षण के फैसले को बरकरार रखा था, जिन पर सुनवाई करते हुए शीर्ष अदालत ने यह फैसला सुनाया है। देश देशांतर में आज हम आरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अलग अलग पहलुओं का विश्लेषण करेंगे।