केंद्र सरकार ई-कॉमर्स कंपनियों के लिए नए दिशानिर्देश लाने की योजना बना रही है। इनमें मुख्य अनुपालन अधिकारी नियुक्त करना, स्थानीय उत्पादों की बिक्री को प्राथमिकता देना, ई-रिटेलरों का उद्योग और आंतरिक व्यापार विभाग के पास अनिवार्य पंजीकरण जैसे प्रावधान शामिल होंगे। केंद्र सरकार के इस कदम का मकसद नियामकीय व्यवस्था को सख्त बनाना और इन फर्मों को ज्यादा जवाबदेह बनाना है। उपभोक्ता संरक्षण (ई-कॉमर्स) नियमों, 2020 के तहत भी कुछ संशोधन का प्रस्ताव है। उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने इन पर संबंधित हितधारकों से 6 जुलाई तक प्रतिक्रिया मांगी है। प्रस्तावित नियमों के अनुसार ई-कॉमर्स कंपनियों को फ्लैश सेल यानि भारी छूट पर बिक्री करने की अनुमति नहीं दी जाएगी। उत्पादों और सेवाओं की क्रॉस सेलिंग से जुड़ी ई-कॉमर्स कंपनियों को अपने उपयोगकर्ताओं ने नामों का खुलासा करना होगा, साथ ही क्रॉस सेलिंग में उपयोग किए गए डेटा की भी जानकारी देनी होगी। ग्राहकों को जानबूझकर भ्रमित करने वाली जानकारी देकर उत्पादों की बिक्री की भी अनुमति नहीं होगी। सरकार इसके अलावा इंटरनेट पर सर्च रिजल्ट्स में हेराफेरी करके उपयोगकर्ताओं को गुमराह करने पर प्रतिबंध और Chief Compliance Officers और रेजीड़ेंट शिकायत अधिकारी की नियुक्ति सहित कुछ अन्य संशोधनों पर भी विचार कर रही है। उपभोक्ता संरक्षण (ई-कॉमर्स) नियम, 2020 को पहली बार पिछले साल जुलाई में अधिसूचित किया गया था। इसके उल्लंघन में उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 के तहत दंडात्मक कार्रवाई की जा सकती है।