राज्य सभा टीवी के ख़ास प्रोग्राम देश देशांतर के इस अंक में आज बात कोरोनाकाल : शिक्षा व्यवस्था की चुनौतियां की। देश में कोरोना का कहर जारी है, संक्रमण के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं। कोरोना वायरस के संक्रमण पर लगाम लगाने के लिए स्कूल और कॉलेजों को बंद रखा गया है। लेकिन इस खतरनाक वायरस से कब तक लोगों को पूरी तरह से निजात मिलेगी, ये पुख्ता तौर पर फिलहाल नहीं बताया जा सकता है। इस बीच सबके मन में कुछ सवाल जरूर उठ रहे है कि क्या कोरोना संक्रमण के दौर में शिक्षा पर किस तरह का असर पड़ रहा है। और क्या इस पर पर लगाम लगने के बाद छात्रों की पढाई का पैटर्न पूरी तरह बदलने वाला है। अगर हम देखें तो साल-2020 माध्यमिक और उच्च शिक्षा विभाग के लिए बेहद उतार-चढ़ाव वाला रहा। पूरे साल एक तरह से उपलब्धियां कम और समस्याएं ज्यादा हावी रहीं। कोरोना की दूसरी लहर से एक बार फिर इस साल भी पढाई व्यवस्था को लेकर चुनौतियां दिख रही है। कोरोना के बढ़ते संक्रमण को देखकर ज्यादातर जगह स्कूल कॉलेज बंद है। शिक्षा विभाग व्यवस्था सुधारने में जुटा हुआ है। इस बीच इंडियन बी-स्कूल्स लीडरशिप कॉन्क्लेव – 2021 का वर्चुअल उद्घाटन करते हुए उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने भी कोरोना काल में शिक्षा की चुनौतियों पर बात की है। उन्होंने एक तरह से सचेत किया है कि जिस तरह से कोविड-19 ने शिक्षकों और छात्रों को वर्चुअल रूप से अनुकूल बनने के लिए मजबूर किया है। जिससे न सिर्फ छात्रों बल्कि शिक्षकों के लिए भी तरह की चुनौतियां उत्पन्न हुई है। वर्चुअल शिक्षा को लेकर न्यू नार्मल के बीच शिक्षकों को छात्रों में अपनी सोच और स्वतंत्र निर्णय लेने वाले कौशल को बढ़ावा देने की आवश्यकता है। देश देशांतर में आज हम कोरोना काल में ई-लर्निंग.. शिक्षा व्यवस्था की चुनौतियों साथ ही शिक्षा के नए आयामों पर बात करेंगे।