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चुनाव सुधार और ई-वोटिंग | E-Voting & Election Reforms

चुनाव सुधार और ई-वोटिंग | E-Voting & Election Reforms

राज्य सभा टीवी के ख़ास प्रोग्राम देश देशांतर के इस अंक में आज बात चुनाव सुधार और ई-वोटिंग की। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को सरकार और चुनाव आयोग से ई-वोटिंग शुरू करने, मतदान प्रणाली को विकेंद्रीकृत करने और अन्य श्रेणियों में पोस्टल वोटिंग की प्रणाली को बढ़ाने संबंधी याचिका पर जवाब मांगा। न्यायमूर्ति ए. एस. बोपन्ना और वी. रामसुब्रमण्यम के साथ ही प्रधान न्यायाधीश एस. ए. बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने अधिवक्ता कालेश्वरम राज से पूछा, अगर आप वोट डालने के लिए अपने निर्वाचन क्षेत्र में नहीं हैं तो फिर कानून आपकी मदद कैसे कर सकता है? अगर मतदाता निर्वाचन क्षेत्र में नहीं आना चाहता है और साथ ही मतदान से इनकार नहीं करता है? केरल के मूल निवासी याचिकाकर्ता के. सथ्यन का प्रतिनिधित्व करते हुए राज ने कहा कि चुनावी कानून को आधुनिक समय और तकनीक के अनुरूप लाने की जरूरत है। याचिकाकर्ता ने गोपनीयता अधिकारों का उल्लंघन किए बिना मतदाताओं की गलती से मुक्त पहचान के उद्देश्य से एक ओटीपी प्रणाली विकसित करने का सुझाव भी दिया। याचिका में कहा गया है कि छात्रों, एनआरआई, प्रवासी श्रमिकों और कर्मचारियों को वोट देने के अपने अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता है, क्योंकि वे अपने संबंधित निर्वाचन क्षेत्रों में शारीरिक रूप से (फिजिकली) उपस्थित होने में असमर्थ हैं। प्रधान न्यायाधीश ने वकील से सवाल करते हुए कहा, ये किस तरह की अर्जी है। आप इंग्लैंड में बैठे हैं और आप वोट यहां देंगे? अगर आप अपने विधानसभा इलाके में जाने को महत्व नहीं देते तो कानून फिर आपकी मदद कैसे कर सकता है। राज ने दलील देते हुए कहा कि निर्वाचन क्षेत्र के बाहर तैनात आंतरिक प्रवासी मजदूरों, कर्मचारियों, छात्रों और व्यावसायिक पेशेवरों को पोस्टल बैलट, ई-वोटिंग सुविधा आदि से वंचित करना प्रवासी भारतीय और विदेशी प्रवासी मजदूर संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन है… तो आज बात इन्ही मुद्दों की.

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राज्य सभा टीवी के ख़ास प्रोग्राम देश देशांतर के इस अंक में आज बात चुनाव सुधार और ई-वोटिंग की। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को सरकार और चुनाव आयोग से ई-वोटिंग शुरू करने, मतदान प्रणाली को विकेंद्रीकृत करने और अन्य श्रेणियों में पोस्टल वोटिंग की प्रणाली को बढ़ाने संबंधी याचिका पर जवाब मांगा। न्यायमूर्ति ए. एस. बोपन्ना और वी. रामसुब्रमण्यम के साथ ही प्रधान न्यायाधीश एस. ए. बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने अधिवक्ता कालेश्वरम राज से पूछा, अगर आप वोट डालने के लिए अपने निर्वाचन क्षेत्र में नहीं हैं तो फिर कानून आपकी मदद कैसे कर सकता है? अगर मतदाता निर्वाचन क्षेत्र में नहीं आना चाहता है और साथ ही मतदान से इनकार नहीं करता है? केरल के मूल निवासी याचिकाकर्ता के. सथ्यन का प्रतिनिधित्व करते हुए राज ने कहा कि चुनावी कानून को आधुनिक समय और तकनीक के अनुरूप लाने की जरूरत है। याचिकाकर्ता ने गोपनीयता अधिकारों का उल्लंघन किए बिना मतदाताओं की गलती से मुक्त पहचान के उद्देश्य से एक ओटीपी प्रणाली विकसित करने का सुझाव भी दिया। याचिका में कहा गया है कि छात्रों, एनआरआई, प्रवासी श्रमिकों और कर्मचारियों को वोट देने के अपने अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता है, क्योंकि वे अपने संबंधित निर्वाचन क्षेत्रों में शारीरिक रूप से (फिजिकली) उपस्थित होने में असमर्थ हैं। प्रधान न्यायाधीश ने वकील से सवाल करते हुए कहा, ये किस तरह की अर्जी है। आप इंग्लैंड में बैठे हैं और आप वोट यहां देंगे? अगर आप अपने विधानसभा इलाके में जाने को महत्व नहीं देते तो कानून फिर आपकी मदद कैसे कर सकता है। राज ने दलील देते हुए कहा कि निर्वाचन क्षेत्र के बाहर तैनात आंतरिक प्रवासी मजदूरों, कर्मचारियों, छात्रों और व्यावसायिक पेशेवरों को पोस्टल बैलट, ई-वोटिंग सुविधा आदि से वंचित करना प्रवासी भारतीय और विदेशी प्रवासी मजदूर संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन है… तो आज बात इन्ही मुद्दों की.

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