बढ़ता NPA और बैड बैंक का विकल्प | Concept Of Bad Bank
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने संकेत दिया कि केंद्रीय बैंक बढ़ते एनपीए से निपटने के लिए एक बैड बैंक की अवधारणा पर विचार कर रहा है.. बैड बैंक एक आर्थिक अवधारणा है जिसके अंतर्गत आर्थिक संकट के समय घाटे में चल रहे बैंकों द्वारा अपनी देनदारी को एक नये बैंक को ट्रासंफर कर दिया जाता है। जब किसी बैंक की NPA एक सीमा से अधिक हो जाती है तब राज्य के आश्वासन पर एक ऐसे बैड बैंक का निर्माण किया जाता है जो कर्ज़ में फँसी बैंकों की राशि को एक निश्चित समय के लिए खरीद लेता है। इसके बाद गैर निष्पादित संपत्ति की समस्या से निपटने का कार्य भी इसी बैंक का होता है। गौरतलब है कि बैड बैंक की अवधारणा को सबसे पहले 1988 में मेल्लोन बैंक (Mellon Bank) के पिट्सबर्ग मुख्यालय में पेश किया गया था। इस तरह के कई बैंक पहले से ही फ्रांस, जर्मनी, स्पेन, पुर्तगाल जैसे कई देशों में काम कर रहे है।