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वैश्विक न्यूनतम कर समझौता और भारत | Global Minimum Tax Agreement & India

 

राज्य सभा टीवी के ख़ास प्रोग्राम देश-देशांतर के आज के अंक में बात वैश्विक न्यूनतम कर समझौता और भारत की. कई सालों की मशक्कत के बाद आखिरकार जी-20 देशों ने बहुराष्ट्रीय कंपनियों पर टैक्सेशन को लेकर ऐतिहासिक – वैश्विक न्यूनतम कर समझौता किया है…जिसके तहत अब ग्लोबल कॉरपोरेट टैक्स (Global corporate tax) कम से कम 15 फीसदी होगा, कंपनियों को टैक्स भुगतान उसी देश में करना होगा, जहां पर वो व्यापार कर रहीं हैं…ग्लोबल मिनिमम टैक्स के लागू होने बाद इन विदेशी कंपनियों पर भारत को 15 फीसदी तक का टैक्स लगाने की ताकत मिल जाएगी। अभी टैक्सेशन क्लीयर नहीं होने की वजह से कई देशों को नुकसान उठाना पड़ता है…विकसित देशों को गूगल, एमेजॉन, फेसबुक जैसी बड़ी कंपनियों से बहुत कम टैक्स मिलता है. आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (ओईसीडी) ने गुरुवार को समझौते की घोषणा की…समझौते में उन देशों में वैश्विक कंपनियों पर भी कर लगाने की बात कही गई है….जहां वे ऑनलाइन कारोबार के जरिये मुनाफा कमाते हैं…लेकिन भौतिक रूप से उनकी मौजूदगी नहीं है…भारत सहित कई देशों ने इसका स्वागत किया है…फ्रांस के वित्त मंत्री ब्रूनो ले मायेर ने इसे इस सदी का सबसे महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय कर समझौता बताया है…चर्चा में आज हम समझेंगे – क्या है वैश्विक न्यूनतम कर समझौता…ग्लोबल मिनिमम टैक्स कैसे काम करेगा…’ग्लोबल कॉर्पोरेट मिनिमम टैक्स’ की जरूरत क्यों पड़ी ?…कॉर्पोरेट टैक्स की चोरी रोकने में कितना मददगार होगा…और सबसे अहम सवाल ये है कि आखिर ग्लोबल मिनिमम टैक्स की दर 15 फीसदी न्यूनतम तय करने का भारत पर क्या असर होगा?.

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