राज्य सभा टीवी के ख़ास प्रोग्राम देश-देशांतर के आज के अंक में बात संसद और युवाओं की भागीदारी की. आजादी के बाद 1952 में पहले लोकसभा चुनावों 25 प्रतिशत युवा सांसद पहुंचे जबकि उसके बाद 1957 में दूसरे लोकसभा चुनावों में अब तक सबसे ज्यादा करीब 35 प्रतिशत युवा सांसद संसद में पहुंचे थे लेकिन इसके बाद संसद में पहुंचने वाले युवा सांसदों की संख्या कम होती गई, 2004 में 20 प्रतिशत और 2014 में मात्र 8 प्रतिशत युवा संसद पहुंचे सके, 2019 में संसद पहुंचने वाले युवा सांसदों की संख्या में मामूली इजाफा हुआ और 12 फीसदी युवा सांसद सदन में पहुंचे। सवाल ये है संसद में युवा सांसदों की संख्या पर आज इतनी चर्चा क्यों…?दरअसल आज विश्व संसद दिवस है, विश्व संसद दिवस हर साल 30 जून को मनाया जाता है, क्यों कि 30 जून को ही 1889 में आईपीयू यानि International Parliamentary Union की स्थापना की गई थी, जिसके बाद 2018 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने एक प्रस्ताव के जरिए आईपीयू की स्थापना के दिन को विश्व संसद दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया. विश्व संसद दिवस के मौके पर लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला ने देशवासियों को बधाई दी है और कहा है कि हमारी संसद ने पिछले सात दशकों से अधिक समय के दौरान आम आदमी की आकांक्षाओं को आवाज दी है और जनहित में कानून और नीतियां बनाई हैं, उन्होंने कहा कि आइए इस दिन लोकतांत्रिक मूल्यों और परंपराओं और संविधान में अपने विश्वास को मजबूत करने के अपने संकल्प को दोहराएं, इस बार विश्व संसद दिवस की थीम है. संसद में युवाओं की भूमिका, देश देशांतर में आज हम अपने खास मेहमानों से हम विश्व संसद दिवस के मौके पर संसद में युवाओं की भूमिका के महत्व को समझेंगे और चर्चा करेंगे कि युवाओं के देश भारत में लोकतंत्र के प्रहरी संसद में युवाओं की मौजूदगी कितनी महत्वपूर्ण हो जाती है.
संसद और युवाओं की भागीदारी | Parliament – Role of Youth
राज्य सभा टीवी के ख़ास प्रोग्राम देश-देशांतर के आज के अंक में बात संसद और युवाओं की भागीदारी की. आजादी के बाद 1952 में पहले लोकसभा चुनावों 25 प्रतिशत युवा सांसद पहुंचे जबकि उसके बाद 1957 में दूसरे लोकसभा चुनावों में अब तक सबसे ज्यादा करीब 35 प्रतिशत युवा सांसद संसद में पहुंचे थे लेकिन इसके बाद संसद में पहुंचने वाले युवा सांसदों की संख्या कम होती गई, 2004 में 20 प्रतिशत और 2014 में मात्र 8 प्रतिशत युवा संसद पहुंचे सके, 2019 में संसद पहुंचने वाले युवा सांसदों की संख्या में मामूली इजाफा हुआ और 12 फीसदी युवा सांसद सदन में पहुंचे। सवाल ये है संसद में युवा सांसदों की संख्या पर आज इतनी चर्चा क्यों…?दरअसल आज विश्व संसद दिवस है, विश्व संसद दिवस हर साल 30 जून को मनाया जाता है, क्यों कि 30 जून को ही 1889 में आईपीयू यानि International Parliamentary Union की स्थापना की गई थी, जिसके बाद 2018 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने एक प्रस्ताव के जरिए आईपीयू की स्थापना के दिन को विश्व संसद दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया. विश्व संसद दिवस के मौके पर लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला ने देशवासियों को बधाई दी है और कहा है कि हमारी संसद ने पिछले सात दशकों से अधिक समय के दौरान आम आदमी की आकांक्षाओं को आवाज दी है और जनहित में कानून और नीतियां बनाई हैं, उन्होंने कहा कि आइए इस दिन लोकतांत्रिक मूल्यों और परंपराओं और संविधान में अपने विश्वास को मजबूत करने के अपने संकल्प को दोहराएं, इस बार विश्व संसद दिवस की थीम है. संसद में युवाओं की भूमिका, देश देशांतर में आज हम अपने खास मेहमानों से हम विश्व संसद दिवस के मौके पर संसद में युवाओं की भूमिका के महत्व को समझेंगे और चर्चा करेंगे कि युवाओं के देश भारत में लोकतंत्र के प्रहरी संसद में युवाओं की मौजूदगी कितनी महत्वपूर्ण हो जाती है.