स्कूल मैनेजमेंट, अभिभावक और फीस | Parents & School Fee
राज्य सभा टीवी के ख़ास प्रोग्राम देश देशांतर के इस अंक में आज बात स्कूल मैनेजमेंट, अभिभावक और फीस की। मार्च 2020 में कोरोना की पहली लहर आने के बाद 22 मार्च को देशभर में लॉकडाउन लगाया गया, धीरे-धीर देश लॉकडाउन से अनलॉक होता गया लेकिन बच्चों की सुरक्षा के मद्देनजर करीब साल भर स्कूल बंद रहे. कोरोना की दूसरी लहर आने के बाद स्कूलों को फिर बंद करना पड़ा, महामारी का असर देश के हर तबके पर पड़ा, स्कूल लंबे समय से बंद है. ऐसे में अपने बच्चों की पढ़ाई और स्कूल की फीस को अभिभावक परेशान हैं. अभिभावकों के अपना तर्क हैं तो स्कूल प्रशासन के अपने तर्क नतीजा कई राज्यों में फीस का मामला कोर्ट तक पहुंचा। अलग-अलग राज्य सरकारों की ओर से फीस को लेकर अलग अलग आदेश दिए गए, जिसको लेकर कहीं स्कूल प्रशासन तो कहीं अभिभाभवक कोर्ट पहुंचे. आखिरकार बच्चों की स्कूल फीस का मामला देश की सर्वोच्च अदालत में पहुंचा जिसे लेकर सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एएम खानविल्कर की पीठ ने अहम निर्देश दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि कोरोनाकाल के शैक्षणिक सत्र 2020-2021 के लिए निजी स्कूल सलाना फीस में 15 फीसदी की छूट दे, यानी पैरेंट्स को अब 85 प्रतिशत फीस देनी होगी लेकिन स्कूल संचालक शैक्षणिक सत्र 2021-22 के लिए पूरी फीस वसूलने के लिए स्वतंत्र हैं। फीस छह किश्तों में 5 अगस्त 2021 तक ली जाएगी। फीस ना देने पर 10वीं और 12वीं छात्रों का रिजल्ट नहीं रोका जाएगा, न ही उन्हें परीक्षा में बैठने से रोका जाएगा. अगर कोई माता-पिता फीस देने की स्थिति में नहीं है तो स्कूल उनके मामलों पर विचार करेंगे लेकिन उनके बच्चे का रिजल्ट नहीं रोकेंगे सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यदि स्कूल अपने छात्रों को और छूट देना चाहें तो दे सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद राजस्थान हाईकोर्ट का हाल ही दिया, वो आदेश रद्द हो गया है, जिसमें निजी स्कूल से ट्यूशन फीस 70 प्रतिशत ही लेने के लिए कहा था। लॉकडाउन के समय में स्कूल की फीस पर सुप्रीम कोर्ट के इल आदेश को समझेंगे और इसे लेकर अभिभावकों और स्कूल मैनेजमेंट का क्या मत है.