जर्मनी, बेल्जियम में उफनती नदियों ने कहर ढा दिया है…ठंडे और कोहरे में लिपटे मौसम के लिए मशहूर अमेरिका के उत्तर पश्चिमी इलाकों में गर्मी से सैकड़ों लोगों की जान चली गई… कनाडा में जंगलों की आग ने एक समूचे गांव का अस्तित्व खत्म कर दिया है…वहीं मास्को रिकॉर्ड तापमान में झुलस रहा है…कई अध्ययनों से पता लगा है कि ग्लोबल वार्मिंग के कारण हुए जलवायु परिवर्तन ने इन देशों को शिकार बनाया है…आने वाले वर्षों में यूरोप,अमेरिका सहित कई देशों में स्थिति और ज्यादा खराब होगी…
अगर भारत की ही बात करें तो हाल ही के वर्षों में देश में आने वाले चक्रवाती तूफानों की संख्या तेजी से बढ़ी है…बात चाहे तौकते तूफान की करें या अम्फान की…वैश्विक तापमान में बढ़ने से तूफान और चक्रवात जैसी प्राकृतिक आपदाओं में भी बढ़ोतरी हो रही है…हिमाचल प्रदेश में अचानक आई बाढ़, उत्तराखंड में भू-स्खलन और जंगलों में आग, मुंबई और भारत के कुछ क्षेत्रों में अनियंत्रित बारिश जलवायु परिवर्तन के कारण उत्पन्न संकट को दर्शाता है….
वैज्ञानिकों ने आगाह किया गया था कि औसत ग्लोबल तापमान में बढ़ोतरी को 1.5 डिग्री सेल्सियस से कम नहीं रखा गया तो विनाशकारी नतीजे होंगे। देश-देशांतर में आज हम चर्चा करेंगे, जलवायु परिवर्तन और और पूरी दुनिया पर उसके असर की…जानेंगे कि दुनिया अपनी धरती को बचाने के लिए कितना संजीदा है…भारत का इसमें क्या रोल है…पेरिस जलवायु समझौते के लक्ष्यों से हम कितने दूर है…और क्या अब वक्त आ गया है कि जलवायु परिवर्तन पूरी दुनिया के एजेंडे में सबसे ऊपर होना चाहिए…..