Strengthening Juvenile Justice Amendment Bill
राज्य सभा टीवी के ख़ास प्रोग्राम देश-देशांतर के आज के इस अंक में बात पॉक्सो कानून : गंभीर अपराध और नाबालिग की उम्र की. केंद्र सरकार ने गृह मामलों की संसदीय समिति के उस विचार को खारिज कर दिया है, जिसमें सिफारिश की गई थी कि अपराध की उम्र 18 से घटाकर 16 की जाए और बाल यौन अपराध में शामिल 16 से ऊपर के आयु वाले सभी आरोपियों पर यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण अधिनियम के तहत कार्रवाई की जाए। राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो के अनुसार- भारत में 2019 में हर आठ घंटों में एक नाबालिग को किसी महिला या लड़की के साथ बलात्कार करने के आरोप में पकड़ा गया जबकि नाबालिगों द्वारा किए जाने वाले अन्य अपराध इनके अलावा हैं। भारत में 18 वर्ष से कम उम्र के किसी भी व्यक्ति को किशोर माना जाता है. सरकार ने पैनल को बताया है कि बच्चों द्वारा किए गए अपराधों को ‘छोटे, गंभीर और जघन्य अपराधों’ के रूप में वर्गीकृत किया गया है और जेजे अधिनियम के तहत उन्हें वयस्कों के रूप में पेश करने का प्रावधान पहले से मौजूद है. किशोर न्याय अधिनियम अधिनियम, 2015 में उन मामलों पर निर्णय लेने की प्रक्रिया भी शामिल है, जहां सोलह वर्ष से अधिक उम्र के बच्चों पर जघन्य अपराध करने का आरोप लगाया जाता है। संयुक्त राष्ट्र की बाल अधिकारों पर बनी कन्वेंशन ये कहती है कि 18 साल की उम्र से कम के किशोरों को नाबालिग ही माना जाए. भारत ने इस पर हस्ताक्षर किए हैं. कन्वेंशन ये भी कहती है कि ऐसे बाल-अपराधियों को वयस्कों से अलग समझा जाए और समाज में उनके पुनर्वास के लिए सरकारें हर कदम उठाएं, नाबालिग अपराधी की उम्र क्या हो, इसे लेकर कई तरह के मत सामने आते हैं.